Thursday, November 27, 2025

मुसहर समाज: मजदूर से मालिक बनने की जंग | Shruti Nagvanshi |


भारत के सबसे उपेक्षित माने जाने वाले मुसहर और नट समाज की किस्मत अब बदल रही है… और इस बदलाव की अगुवाई कर रही हैं – Shruti Nagvanshi। यह वीडियो सिर्फ देखने के लिए नहीं, सोच बदलने के लिए है। अगर आप मानते हैं कि मुसहर और वंचित समाज को हक और सम्मान मिलना चाहिए, तो कमेंट में लिखिए: “बदलाव जरूरी है” और इस वीडियो को कम से कम 3 लोगों के साथ शेयर करें। – कुमार विजय | काशी के कर्णधार “Kashi Ke Karndhar with Kumar Vijay” के इस विशेष एपिसोड में जानिए कैसे एक महिला समाजसेवी मुसहर समाज को 👉 मजदूर से मालिक बना रही हैं 👉 भीख और मजदूरी से निकालकर स्वाभिमान की राह दिखा रही हैं 👉 शिक्षा, रोजगार और आत्मनिर्भरता की लड़ाई लड़ रही हैं 👉 और दलित-वंचित समाज के लिए एक नई क्रांति की शुरुआत कर रही हैं यह वीडियो सिर्फ एक इंटरव्यू नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन की सच्ची कहानी है। आप इस वीडियो में देखेंगे:
  • मुसहर और नट समाज का वास्तविक जीवन
  • जातिगत शोषण और गरीबी की सच्चाई
  • कैसे एक महिला बदलाव की मशाल बन गई
  • समाजसेवा की वह मिसाल जो सिस्टम को चुनौती दे रही है

Wednesday, October 1, 2025

The Future of Social Justice Movements in South Asia: Dalit Voices and Beyond


South Asia Research Institute for Minorities
PODCAST: The Future of Social Justice Movements in South Asia: Dalit Voices and Beyond
Held on: Thursday, 29 September 2025
Guest Speaker:
Lenin Raghuvanshi
Dalit rights activist, political thinker, and social entrepreneur. He is one of the founding members of the People's Vigilance Committee on Human Rights (PVCHR)
Moderator: Heman Das, Senior Research Associate, SARIM

The Future of Social Justice Movements in South Asia: Dalit Voices and Beyond

South Asia Research Institute for Minorities
PODCAST: The Future of Social Justice Movements in South Asia: Dalit Voices and Beyond
Held on: Thursday, 29 September 2025
Guest Speaker:
Lenin Raghuvanshi
Dalit rights activist, political thinker, and social entrepreneur. He is one of the founding members of the People's Vigilance Committee on Human Rights (PVCHR)
Moderator: Heman Das, Senior Research Associate, SARIM

Tuesday, September 30, 2025

From Despair to Justice: A Case of Police Harassment and the Triumph of Rights-Based Action


 📰 From Despair to Justice: A Case of Police Harassment and the Triumph of Rights-Based Action

On 31 March 2025, Aligarh witnessed a tragedy when Laxmi Devi (46) allegedly took her life under the pressure of police harassment. What could have been just another forgotten headline became a fight for accountability.

Thanks to a complaint filed by Lenin Raghuvanshi, the NHRC has admitted the case (8689/24/3/2025) and directed the SSP Aligarh to submit an Action Taken Report.

This is not only about justice for one woman, but about strengthening democracy, human dignity, and the fight against custodial violence.

🔗 Read the full story here:

#HumanRights #Justice #NHRC #PVCHR #Democracy #Accountability


📰 हताशा से न्याय तक: पुलिस उत्पीड़न और मानवाधिकार की जीत की कहानी

31 मार्च 2025 को अलीगढ़ की 46 वर्षीय लक्ष्मी देवी ने पुलिस उत्पीड़न के दबाव में अपनी जान दे दी। यह ख़बर भुला दी जाती, अगर इसे मानवाधिकार कार्यकर्ता लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) तक न पहुँचाया होता।

NHRC ने इस मामले (8689/24/3/2025) को संज्ञान में लिया और एसएसपी अलीगढ़ को चार हफ़्ते में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।

यह सिर्फ़ एक महिला के न्याय की कहानी नहीं, बल्कि लोकतंत्र, मानवीय गरिमा और पुलिस सुधार की दिशा में अहम क़दम है।

🔗 पूरी रिपोर्ट यहाँ पढ़ें:

#मानवाधिकार #न्याय #NHRC #PVCHR #लोकतंत्र #जवाबदेही

Sunday, September 28, 2025

✨ महिलाओं के हक की लड़ाई, बाल विवाह के खिलाफ बुलंद आवाज़


 ✨ महिलाओं के हक की लड़ाई, बाल विवाह के खिलाफ बुलंद आवाज़ ✨

श्रुति नागवंशी (वाराणसी) की प्रेरक कहानी पढ़ें 👇
Shruti Nagvanshi’s inspiring journey from Varanasi — fighting for women’s rights and raising her voice against child marriage 👇

🔗 https://www.etvbharat.com/hi/!state/story-of-social-worker-shruti-nagvanshi-in-varanasi-uttar-pradesh-news-ups25092803758

#महिलाअधिकार #बालविवाहखत्मकरो #मानवाधिकार #श्रुति_नागवंशी #वाराणसी #न्यायकीलड़ाई
#WomensRights #EndChildMarriage #HumanRights #ShrutiNagvanshi #Varanasi #FightForJustice

Thursday, September 4, 2025

इंसानियत और संवेदना का उदाहरण: दिलीप कुमार सोनकर और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मिली मदद

 

इंसानियत और संवेदना का उदाहरण: दिलीप कुमार सोनकर और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मिली मदद

वाराणसी की धरती हमेशा से संघर्ष, करुणा और सहयोग की मिसाल रही है। हाल ही में इस परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रेरक उदाहरण सामने आया, जब गंभीर बीमारियों से जूझ रहे दो रोगियों—बब्लू सोनकर (मुँह का कैंसर) और गुड़िया सोनकर (स्तन कैंसर)—को उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा “मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष” से आर्थिक सहायता प्रदान की गई।

इस कार्य में दिलीप कुमार सोनकर जैसे वरिष्ठ और जनप्रिय नेता की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। उन्होंने न केवल रोगियों की पीड़ा को समझा, बल्कि इसे शासन-प्रशासन तक पहुँचाने के लिए सेतु का कार्य किया।






संघर्ष और सहानुभूति की कहानी

बब्लू सोनकर, 42 वर्षीय निवासी, मुँह के कैंसर से पीड़ित हैं। उनके इलाज का खर्च लगभग चार लाख रुपये आंका गया है। उपचार हेतु होमी भाभा कैंसर अस्पताल, वाराणसी से जारी किए गए कॉस्ट सर्टिफिकेट में यह स्पष्ट है कि रेडियोथेरेपी और अन्य उपचार आवश्यक हैं। आर्थिक कठिनाइयों के कारण परिवार के लिए यह संभव नहीं था कि वे इतने बड़े खर्च को स्वयं वहन कर सकें।

दूसरी ओर, गुड़िया सोनकर, वाराणसी की ही एक अन्य महिला, स्तन कैंसर से जूझ रही थीं। उनके लिए भी जीवनरक्षक उपचार हेतु भारी आर्थिक सहायता की आवश्यकता थी।

राजनीतिक नेतृत्व की मानवीय भूमिका

इन दोनों मामलों में दिलीप कुमार सोनकर की संवेदनशील पहल सामने आई। उन्होंने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के समक्ष इन पीड़ित परिवारों की स्थिति रखी। परिणामस्वरूप:

  • बब्लू सोनकर को 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता

  • गुड़िया सोनकर को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता

सीधे मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से स्वीकृत की गई।

भावुक क्षण और उम्मीद की किरण

सहायता की स्वीकृति की खबर मिलते ही परिवारों में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। यह केवल धनराशि नहीं, बल्कि जीवन और उम्मीद का संचार था। यह साबित करता है कि जब राजनीति सेवा का माध्यम बनती है, तो वह समाज की सबसे बड़ी ताकत बन जाती है।

निष्कर्ष: सेवा ही सच्चा नेतृत्व

आज जब राजनीति अक्सर आलोचना के घेरे में होती है, ऐसे उदाहरण हमें याद दिलाते हैं कि सच्चा नेतृत्व वही है जो कमजोर और पीड़ित की आवाज़ बने। दिलीप कुमार सोनकर ने यह दिखा दिया कि संवेदना और संघर्ष ही लोकतंत्र की आत्मा हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा दी गई यह आर्थिक मदद न केवल रोगियों और उनके परिवारों के लिए संबल है, बल्कि यह संदेश भी है कि सरकार और समाज मिलकर हर पीड़ा को कम कर सकते हैं।

✍️ यह केवल सहायता की कहानी नहीं, बल्कि संवेदना और संघर्ष की साझी जीत है।