- मुसहर और नट समाज का वास्तविक जीवन
- जातिगत शोषण और गरीबी की सच्चाई
- कैसे एक महिला बदलाव की मशाल बन गई
- समाजसेवा की वह मिसाल जो सिस्टम को चुनौती दे रही है
Petition to NHRC
Petition by PVCHR and its associates and further action and result
Thursday, November 27, 2025
मुसहर समाज: मजदूर से मालिक बनने की जंग | Shruti Nagvanshi |
Saturday, October 11, 2025
Non-Violence and Justice: Empowering Marginalized Communities in South Asia
Wednesday, October 1, 2025
The Future of Social Justice Movements in South Asia: Dalit Voices and Beyond
The Future of Social Justice Movements in South Asia: Dalit Voices and Beyond
Tuesday, September 30, 2025
From Despair to Justice: A Case of Police Harassment and the Triumph of Rights-Based Action
On 31 March 2025, Aligarh witnessed a tragedy when Laxmi Devi (46) allegedly took her life under the pressure of police harassment. What could have been just another forgotten headline became a fight for accountability.
Thanks to a complaint filed by Lenin Raghuvanshi, the NHRC has admitted the case (8689/24/3/2025) and directed the SSP Aligarh to submit an Action Taken Report.
This is not only about justice for one woman, but about strengthening democracy, human dignity, and the fight against custodial violence.
#HumanRights #Justice #NHRC #PVCHR #Democracy #Accountability
📰 हताशा से न्याय तक: पुलिस उत्पीड़न और मानवाधिकार की जीत की कहानी
31 मार्च 2025 को अलीगढ़ की 46 वर्षीय लक्ष्मी देवी ने पुलिस उत्पीड़न के दबाव में अपनी जान दे दी। यह ख़बर भुला दी जाती, अगर इसे मानवाधिकार कार्यकर्ता लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) तक न पहुँचाया होता।
NHRC ने इस मामले (8689/24/3/2025) को संज्ञान में लिया और एसएसपी अलीगढ़ को चार हफ़्ते में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।
यह सिर्फ़ एक महिला के न्याय की कहानी नहीं, बल्कि लोकतंत्र, मानवीय गरिमा और पुलिस सुधार की दिशा में अहम क़दम है।
#मानवाधिकार #न्याय #NHRC #PVCHR #लोकतंत्र #जवाबदेही
Sunday, September 28, 2025
✨ महिलाओं के हक की लड़ाई, बाल विवाह के खिलाफ बुलंद आवाज़
Thursday, September 4, 2025
इंसानियत और संवेदना का उदाहरण: दिलीप कुमार सोनकर और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मिली मदद
इंसानियत और संवेदना का उदाहरण: दिलीप कुमार सोनकर और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मिली मदद
वाराणसी की धरती हमेशा से संघर्ष, करुणा और सहयोग की मिसाल रही है। हाल ही में इस परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रेरक उदाहरण सामने आया, जब गंभीर बीमारियों से जूझ रहे दो रोगियों—बब्लू सोनकर (मुँह का कैंसर) और गुड़िया सोनकर (स्तन कैंसर)—को उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा “मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष” से आर्थिक सहायता प्रदान की गई।
इस कार्य में दिलीप कुमार सोनकर जैसे वरिष्ठ और जनप्रिय नेता की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। उन्होंने न केवल रोगियों की पीड़ा को समझा, बल्कि इसे शासन-प्रशासन तक पहुँचाने के लिए सेतु का कार्य किया।
संघर्ष और सहानुभूति की कहानी
बब्लू सोनकर, 42 वर्षीय निवासी, मुँह के कैंसर से पीड़ित हैं। उनके इलाज का खर्च लगभग चार लाख रुपये आंका गया है। उपचार हेतु होमी भाभा कैंसर अस्पताल, वाराणसी से जारी किए गए कॉस्ट सर्टिफिकेट में यह स्पष्ट है कि रेडियोथेरेपी और अन्य उपचार आवश्यक हैं। आर्थिक कठिनाइयों के कारण परिवार के लिए यह संभव नहीं था कि वे इतने बड़े खर्च को स्वयं वहन कर सकें।
दूसरी ओर, गुड़िया सोनकर, वाराणसी की ही एक अन्य महिला, स्तन कैंसर से जूझ रही थीं। उनके लिए भी जीवनरक्षक उपचार हेतु भारी आर्थिक सहायता की आवश्यकता थी।
राजनीतिक नेतृत्व की मानवीय भूमिका
इन दोनों मामलों में दिलीप कुमार सोनकर की संवेदनशील पहल सामने आई। उन्होंने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के समक्ष इन पीड़ित परिवारों की स्थिति रखी। परिणामस्वरूप:
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बब्लू सोनकर को 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता
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गुड़िया सोनकर को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता
सीधे मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से स्वीकृत की गई।
भावुक क्षण और उम्मीद की किरण
सहायता की स्वीकृति की खबर मिलते ही परिवारों में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। यह केवल धनराशि नहीं, बल्कि जीवन और उम्मीद का संचार था। यह साबित करता है कि जब राजनीति सेवा का माध्यम बनती है, तो वह समाज की सबसे बड़ी ताकत बन जाती है।
निष्कर्ष: सेवा ही सच्चा नेतृत्व
आज जब राजनीति अक्सर आलोचना के घेरे में होती है, ऐसे उदाहरण हमें याद दिलाते हैं कि सच्चा नेतृत्व वही है जो कमजोर और पीड़ित की आवाज़ बने। दिलीप कुमार सोनकर ने यह दिखा दिया कि संवेदना और संघर्ष ही लोकतंत्र की आत्मा हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा दी गई यह आर्थिक मदद न केवल रोगियों और उनके परिवारों के लिए संबल है, बल्कि यह संदेश भी है कि सरकार और समाज मिलकर हर पीड़ा को कम कर सकते हैं।
✍️ यह केवल सहायता की कहानी नहीं, बल्कि संवेदना और संघर्ष की साझी जीत है।





